मिट्ठी
जीना मिट्ठी मरना मिट्ठी , सब है करिश्मा मिट्ठी का दुनिया वालो तुम्हे बताऊँ एक करिश्मा मिट्ठी का
मंदिर में जाए तो इंसान शीश इसी पे धर्ता है
मस्जिद में जाए तो बन्दा सजदा इसी पे करता है
उस मालिक ने जिस दिन देखो दुनिया अपनी बनायीं है
सबसे पहले इस दुनिया में मिट्ठी ही तो आई है
मिट्ठी सबकी पालनहारी,मिट्ठी सबकी माता है
मिट्ठी सबका पैठ है भरती, मिट्ठी ही अन्नदाता है
मिट्ठी से है हुस्न जहाँ में, फूल खिले है मिट्ठी से
सोना चांदी हीरे सब ला मिले है मिट्ठी से
इसी पे बनाये बंगले इंसान ने,इसी पे तौपे चलाता है
इस मिट्ठी का दिल तो देखो सब कुछ यह सह जाता है
सारे जहा के हर ज़ुल्म सितम ख़ामोशी से तकती है
जो कुछ हुआ है दुनिया में यह मिट्ठी ही कह सकती है
गुज़रे है जितने पीर-ओ-पयम्बर सभी को इसने देखा है
इंसान को होश कहाँ था मिट्ठी ने करिश्मा देखा है.
3 comments:
pretty good! :)
hhmm..
good..
messege is good, mkes you think
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